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ये मेरा पहला ब्लॉग है और यह ब्लॉग में तथाकथित असाम्प्रदायिक व्यक्तियों के लिया लिखना चाहूँगा. आज सभी तथाकथित असाम्प्रदायिक व्यक्ति ले देकर श्री नरेन्द्र मोदी के पीछे पड़े है. मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि इसके द्वारा वे क्या हांसिल करना चाहते हैं. श्री मोदी लोकतान्त्रिक तरीके से चुने गए मुख्यमंत्री हैं, क्या सभी को हमरे लोकतन्त्र का सम्मान नहीं करना चाहिए. मैं यहाँ ये नहीं साबित करना चाहता हूँ कि वे 2002 में हुए दंगे के दोषी हैं या नहीं, बस इतना कहना चाहता हूँ कि वे हमारे भारत के ही एक राज्य के जनता कि द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं और हमें इसका सन्मान करना चाहिए. वे किसी मामले में दोषी हैं या नहीं यह निर्णय लेने का अधिकार हमारा संविधान सिर्फ और सिर्फ न्यायलय को देता हे और न्यायलय के निर्णय आने से पहले किसी को दोषी कहने का अधिकार हमारा कानून किसी को नहीं देता हैं. तो क्यों न हम जनादेश और न्यायपालिका दोनों का सन्मान करे और ऐसा कोई कम न करे जिससे हमरे ही देश कि छवि को नुकसान पहुचता हो.
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